‘लिखे जो खत तुझे’ से ‘ए भाई जरा देखके चलो...’ की रचना करने वाले ‘नीरज’ खुद को मानते थे ‘बदकिस्मत कवि’
नई दिल्ली, 18 जुलाई (आईएएनएस)। 'लिखे जो खत तुझे, वो तेरी याद में, हजारों रंग के नजारे बन गए...' जैसे गीत गढ़ने वाले गोपालदास ‘नीरज’ खुद को बदकिस्मत मानते थे। ये सुन उनके प्रशंसक काफी हैरान होते हैं। आखिर सहज और सुंदर शब्दों में पिरोए गीत जो कइयों को प्रेरित करते हैं, उसे लिखने वाला शख्स भला कैसे खुद को बदकिस्मती का टैग दे सकता है!